दोस्तों क्या आपने एक चीज नोटिस की है अपने जीवन में की कभी-कभी आपके सारे काम काफी धीरे-धीरे बनते हैं आपको आपके जीवन में सफलता काफी धीरे मिलती है। ज्योतिष की माने तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शनि की साडेसाती चल रही होती है। कई लोग शनि का नाम सुनते ही काफी घबरा जाते हैं लेकिन यह घबराने वाली बात नहीं है।
आप घबरा इसलिए रहे हैं क्योंकि आपको नहीं पता कि असल में यह शनि होता क्या है। इसलिए आज हम आपको बताएंगे की शनी क्या है? शनि की साडेसाती क्या होती है? और शनि आपसे क्या चाहता है? और कुछ उपाय के बारे में भी आपको बताएंगे। इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
जैसा कि आपको पता है कि हमारे सारे राशियों में कोई ना कोई ग्रह अपना प्रभाव डालते हैं। ऐसे ही एक ग्रह है शनि- मान्यता है कि यह शनिदेव द्वारा राज किया जाता है। शनि देव राशियों में ब्राह्मण के दौरान अपना प्रभाव छोड़ते हैं। और इसी प्रभाव को कहते हैं शनि की साडेसाती।
हर ग्रह की एक चाल होती है, एक गति होती है जिस गति से सारे ग्रह चलते हैं। सारे ग्रहों की अलग-अलग गति होती है। जिस तरह पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने के लिए 365 दिन लगती है। इस तरह बुद्ध सूर्य का चक्कर लगाने के लिए 88 दिन लगती है और शनि सूर्य के चक्कर लगाने के लिए 29 साल लगता हैं।
शनि की रफ्तार सबसे धीमी है। इसलिए इसका प्रभाव भी हमें काफी देर से प्राप्त होता है। शनि कल 2.5 साल का समय लेता है एक राशि से दूसरे राशि में जाने के लिए। शनि जिस भी राशि में आकर बैठता है, वह उस राशि और उसके पहले वाली एक राशि और आने वाली एक राशि दोनों पर अपना प्रभाव 2.5 साल तक डालता है।
आपको बता दें कि साडेसाती का प्रभाव तीन चरण में होता है, यह सारा समय ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में बटा होता है। इसलिए इसे साडेसाती कहा जाता है।
यह ग्रह का प्रभाव है और यह हमेशा से रही है और यह आगे भी रहेगी। इसलिए हर व्यक्ति को जीवन में शनि की साडेसाती का अनुभव होता है, उसे जीवन में काम से कम दो या तीन बार इसे साडेसाती का अनुभव आवश्यक होता है।
साडेसाती का प्रभाव
पहले प्रभाव: क्योंकि शनि काफी धीमी गति का ग्रह है इसलिए जब इसका प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है तो हमारे सारे काम धीमे गति से होने लगते हैं। आप देखेंगे कि आपका काम में किसी न किसी तरह की बढ़ाएं आ रही है। यह शनि की साडेसाती की पहली बाधा है और सबसे पहला लक्षण भी है।
दूसरा प्रभाव: यदि आपकी कुंडली में शनि कमजोर है तो शनि का प्रभाव सीधा हमारे मस्तिष्क पर होता है। इसका मतलब यह है कि आप जिस भी नौकरी में हैं, जिस भी क्षेत्र में है, जिस भी व्यवसाय में है, आप उसे बदलने का प्रयास करेंगे। यह आपको बहुत uncomfortable करने की कोशिश करता है आप जिस भी जगह में काफी स्टेबल है वहां से हटाने की कोशिश करता है। और यहीं से आपके काम बिगड़ने लग जाते हैं।
तीसरा प्रभाव: आपको पेट से संबंधित काफी समस्याएं आएंगी। आप जो भी खाएंगे वह अच्छे से पचनहीं पाएगा, एसिडिटी की समस्या आएगी, kidney stone या liver stone की समस्या आएगी।
जब शनि अपने अंतिम चरण में होगा जब अंतिम ढाई वर्ष शेष रहेंगे तब यह आपको ‘वात’ रोक देना शुरू कर देगा।
मतलब यह आपको घुटनों में दर्द या मांसपेशियों में दर्द देगा।
आखिर यह क्यों होता है?
मूल रूप से शनि आपके कर्मों का फल देता है। आपने जिस प्रकार से कम किए होंगे आपको इस प्रकार से फल दिया जाएगा।
शनि की साडेसाती हमेशा खराब नहीं होती। इसके और भी प्रभाव है जब भी शनि की साडेसाती का प्रभाव आप पर पड़ेगा तो आप भगवान की भक्ति में जरूर लीन होंगे।
शनि धन संपत्ति और कर्म के देवता हैं। शनि के बिना किसी ने भी धन नहीं कमाया। इसलिए यदि आपकी कुंडली में शनि खराब है तो आपको धन से संबंधित काफी समस्याएं आएंगी।
शनि की साढ़ेसाती के कुछ उपाय
- शनिवार को काले तिल का दान करें.
- शनिवार के दिन काले रंग के वस्त्र पहनें.
- ॐ शं शनिश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें.
- शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और शनि स्त्रोत का पाठ करें.
- शनिवार को मछली, पक्षी, और पशुओं को चारा खिलाएं.
- हर दिन ज़रूरतमंद लोगों को सामर्थ्य अनुसार दान करें.
- शनिवार के दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें.
- किसी का दिल न दुखाएं.
- लोहा, चमड़े के जूते, चप्पल, लकड़ी की वस्तुएं, नमक, सरसों का तेल आदि चीज़ों का दान करें.
- शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शनि की पूजा करें.
- शनिवार को शमी या पीपल के पेड़ की पूजा करें और इसके नीचे दिया जलाएं.
- शनिवार को सुबह और शाम लगातार 27 दिन तक शनिस्तोत्र का पाठ करें